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आधार की कमियों की वजह से नहीं बन पा रही हैं अपार आईडी

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यू-डायस में संशोधन के अधिकार में भी समस्या
लखनऊ। बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की आॅटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने के लिए स्कूलों पर काफी दबाव है। इसके लिए रविवार को भी स्कूल व कार्यालय खोले गए, लेकिन अपार आईडी बनाने में सबसे बड़ी बाधा छात्रों व उनके अभिभावकों के आधार कार्ड हैं। इनमें कुछ के आधार नहीं हैं तो कुछ के आधार में कमियां हैं। इससे अपार आईडी बनने में दिक्कत आ रही है।
प्रदेश में चार फरवरी तक शत-प्रतिशत छात्रों की अपार आईडी बनाने का लक्ष्य है, लेकिन इसकी प्रगति ठीक नहीं है। शिक्षकों के मुताबिक छात्र के आधार में दर्ज नाम व पते से स्कूल के रिकॉर्ड में थोड़ा भी अंतर है तो अपार आईडी नहीं बन रही है। उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि अपार आईडी बनाने से पहले आधार में संशोधन के लिए कैंप लगाना चाहिए जिससे ऐसी दिक्कतें न हों। उप्र. बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि आधार न होने व इसमें कमियों से काफी दिक्कतें हो रही हैं। इसके लिए भी शिक्षक पर ही दबाव बनाया जाता है।
विद्यालयों में एक दिक्कत यह भी आ रही है कि स्कूल स्तर पर यू-डायस में डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को नहीं है। इसके लिए आवेदन भेजा जाता है और निदेशालय स्तर पर इसमें सुधार किया जाता है। इसमें काफी समय भी लगता है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्भय सिंह ने कहा कि बच्चों का नामांकन सिर्फ पहले क्लास में होता है। दूसरी व तीसरी क्लास में बच्चे का पुराना ही डाटा लिया जाता है। किसी भी तरह के संशोधन के लिए मैनुअल प्रस्ताव लिया जाता है और फिर निदेशालय इस पर कार्यवाही करता है। डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को दिया जाना चाहिए। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर कहा है कि तहसील व खंड विकास अधिकारी कार्यालय से छात्रों के जन्म प्रमाणपत्र समय से नहीं जारी हो रहे हैं। इससे अपार आईडी बनने में भी दिक्कत आ रही है। आधार कार्ड न होने से छात्रों को डीबीटी का लाभ भी नहीं मिल रहा है। बच्चों व अभिभावकों के आधार कार्ड व स्कूल डाटा में भी अंतर है। इन समस्याओं की तरफ ध्यान दिया जाए।

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