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योगी सरकार के आठ साल: नॉलेज सिटी सी बन रही गोरखपुर की ख्याति, सैनिक स्कूल समेत अनेक सौगात

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गोरखपुर। गोरखपुर की नई ख्याति नॉलेज सिटी सी बन रही है। योगी सरकार के आठ वर्ष गोरखपुर के लिए शैक्षिक उत्कर्ष वाले साबित हुए हैं। इन आठ सालों में इस जिले को अत्यंत प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल समेत अटल आवासीय विद्यालय, जयप्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय, एक राजकीय महाविद्यालय, चार राजकीय इंटर कॉलेज, चार आईटीआई, दो पॉलिटेक्निक की सौगात मिली तो पूर्व से संचालित अनेक विद्यालयों का कायाकल्प हुआ। आठ सालों में गोरखपुर में एक राज्य और एक निजी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तो एक नए विश्वविद्यालय (वानिकी विश्वविद्यालय) की स्थापना की ओर सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। अब यह देश के उन चुनिंदा जिलों में शामिल हो चुका है जहां चार विश्वविद्यालय हैं और पांचवां विश्वविद्यालय बनने वाला है। जल्द ही यहां स्टेट इंस्टिट्यूट आॅफ होटल मैनेजमेंट की सौगात भी मिल जाएगी। अपना गोरखपुर प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, व्यावसायिक, प्रबंधकीय, हॉस्पिटैलिटी समेत किसी भी विशिष्ट प्रकार की शिक्षा के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही सीमावर्ती बिहार और नेपाल के लिए उम्मीदों का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
गोरखपुर में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव महज आठ सालों में देखने को मिला है। इस बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। योगी आदित्यनाथ नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं। शैक्षिक उन्नयन के प्रति ऊर्जस्वित विचार उन्हें अपनी पीठ से विरासत में मिला है। गोरखपुर को केंद्र में रखकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक क्रांति में गोरक्षपीठ और इसके दो पीठाधीश्वरों ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की बड़ी भूमिका मानी जाती है। योगी आदित्यनाथ इसी भूमिका का फलक और व्यापक कर रहे हैं। संसदीय कार्यकाल से ही उनकी मंशा गोरखपुर को नॉलेज सिटी के रूप में विकसित करने की थी और उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद यह तेजी से साकार होती गई है।
सीएम योगी के प्रयासों से गोरखपुर में सैनिक स्कूल भी बन गया है और इसमें पढ़ाई भी होने लगी है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश का पहला और उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा संचालित प्रदेश का दूसरा सैनिक स्कूल है। यह बताने की जरूरत नहीं कि सैनिक स्कूल किसी भी क्षेत्र के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि है। गोरखपुर में सैनिक स्कूल बन जाने से अब सैन्य सेवाओं में अवसरों के लिए क्षेत्रीय संतुलन बढ़ेगा। सैनिक स्कूल को सीएम योगी ने ड्रीम प्रोजेक्ट मानकर बनाया है। उच्च शिक्षा के मानकों पर बात करें तो योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर की ख्याति दो विश्वविद्यालय (दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) वाले जिले की थी। इसमें भी दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में गोरक्षपीठ नींव की ईंट की तरह है जिसने अपने महाविद्यालय की संपत्ति विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए दे दी थी। बहरहाल, अब गोरखपुर के नाम में इन दो विश्वविद्यालयों के अलावा दो और विश्वविद्यालय जुड़ गए हैं। इनमें से एक आयुष की सभी चिकित्सा पद्धतियों के शिक्षण वाला महायोगी गुरु गोरखनाथ राज्य आयुष विश्वविद्यालय है तो दूसरा निजी क्षेत्र का महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय। आयुष विश्वविद्यालय तो पूरे प्रदेश में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय है।
जबकि निजी क्षेत्र के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने कम समय में ही एलोपैथ और आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा, नर्सिंग, पैरामेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में खुद को ब्रांड के रूप में स्थापित कर लिया है। अब जिले में पांचवें विश्वविद्यालय के रूप में वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना होगी। मुख्यमंत्री इसकी घोषणा कर चुके हैं। आयुष विश्वविद्यालय की तरह प्रस्तावित वानिकी विश्वविद्यालय भी अपने तरह का राज्य का पहला विश्वविद्यालय होगा। बीते कुछ सालों में गोरखपुर उच्च शिक्षा के तकरीबन सभी आयामों से समृद्ध है। बस अभाव था तो सिर्फ हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के पाठ्यक्रमों की पढ़ाई का। सीएम योगी ने यह कमी भी दूर कर दी है। उनके हाथों शिलान्यास के बाद गोरखपुर के गीडा में स्टेट इंस्टिट्यूट आॅफ होटल मैनेजमेंट का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा का एक और बेहतरीन विकल्प मिल जाएगा। नॉलेज सिटी बन रहे गोरखपुर के युवाओं को योगी सरकार ने ज्ञान के मामले में अपडेट बने रहने के स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के तहत सवा लाख से अधिक टैबलेट और स्मार्टफोन वितरित किए हैं। पूर्व की सरकार में ऐसी कोई योजना नहीं थी। स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंर्तगत गोरखपुर में 76583 युवाओं को स्मार्टफोन और 51883 युवाओं को टैबलेट दिए गए हैं।

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