छांगुर के धर्मांतरण गिरोह से तीन हजार लोगों के जुड़े होने की मिली जानकारी, नाम पते की तलाश में जुटी एटीएस
1 min read
बलरामपुर। अवैध धर्मांतरण में छांगुर के मददगारों का पता लगाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने मिशन पहचान शुरू किया है। अभी तक की जांच में धर्मांतरण गिरोह से तीन हजार लोगों के जुड़े होने की जानकारी मिली है। अब सभी के नाम-पते की जानकारी में एटीएस के साथ ही स्थानीय अभिसूचना इकाई भी सक्रिय हुई है। प्रदेश के नौ जिलों के साथ ही महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार पर भी नजर है। सुरक्षा एजेंसियां नेपाल में बैठे छांगुर के सहयोगियों तक भी पहुंच में जुटी हुई हैं। जल्द ही बड़ी कार्रवाई की उम्मीद है। इसमें प्रशासन, राजस्व के साथ ही पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी दायरे में आ सकते हैं। मिशन पहचान की कड़ी में ही एटीएस ने न्यायालय के बाबू राजेश उपाध्याय की गिरफ्तारी की है। अब ऐसे लोगों की धड़कनें बढ़ गईं हैं, जिनके नामों का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। छांगुर के कारनामों के खास मददगार रहे एमेन रिजवी की तलाश भी एटीएस ने तेज कर दी है। उतरौला के एमेन रिजवी की प्रशासन और पुलिस में गहरी पैठ थी। एक बार एमेन ने मोबाइल पर कहा था कि कोतवाली में कामकाज वही देखता है। आडियो वायरल होने पर पुलिस ने रिपोर्ट भी दर्ज की थी। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार एमेन छांगुर का पुलिस और प्रशासनिक मैनेजमेंट देखता था, जिसकी जांच अब तेज हो गई है। इसके साथ ही एटीएस की रिपोर्ट में छांगुर के तीन हजार से अधिक अनुयायी होने की छानबीन हो रही है। अभी तक इनमें से किसी का नाम उजागर नहीं हुआ है। मामले की तह तक जाने के लिए एटीएस ने बलरामपुर के साथ ही आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, बहराइच व श्रावस्ती में भी छानबीन शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि बढ़नी में एटीएस की एक यूनिट भी जांच में जुटी है। एटीएस की निगाह प्रदेश के उन नौ जिलों पर है, जहां छांगुर के लोग सक्रिय थे। इसके साथ ही महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार के संपर्कों को भी खंगाला जा रहा है।
छांगुर की राजदार और अहम सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन व नवीन उर्फ जलालुद्दीन ने कई देशों में अपना रैकेट फैला रखा था। इसके सबूत बीते दिनों ईडी को जांच में हाथ लगे हैं। विदेशी खातों से जुड़े लोगों की पड़ताल भी हो रही है। दोनों के खाते खुलवाने के लिए पहचान करने वाले और लेनदेन करने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। तीन विदेशी बैंक खातों से बड़े स्तर पर लेनदेन हुआ है, जिससे धर्मांतरण करने वालों को रकम दी भी गई है और बाहर से रकम मंगाई भी गई है। अब लेनदेन से जुड़े लोगों की पड़ताल हो रही है।
बलरामपुर जिले की संवदेनशील तहसील उतरौला में धर्मांतरण और इस्लामिक एरिया विकसित करने की जमीन वर्ष 2013 में ही रख दी गई थी। तहसील के सादुल्लाह नगर थाने में बनी मजार को खतौनी में दर्ज कराया गया था। तत्कालीन विधायक आरिफ अनवर हाशमी के खिलाफ मामले की एफआईआर तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह के निर्देश पर भी दर्ज हुई थी, जिसमें आरोप था कि फर्जी अभिलेख के आधार पर उन्होंने अपने भाई मारूफ अनवर हाशमी को मजार शरीफ बाबा शहीदे मिल्लत अब्दुल कुद्दूस शाह रहमत उल्लाह अलैह का मुतवल्ली बनाया था। इस दौरान डीएम ने उतरौला तहसील के तीन थानों के प्रभारी निरीक्षकों के साथ ही पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। मजिस्ट्रेटी जांच भी कराई, जिसमें पुलिस के अधिकारियों की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े किए थे। डीएम ने करीब 100 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय व गृह विभाग को भेजी थी। उस समय अंदेशा भी जताया था कि उतरौला में कुछ बड़ा हो रहा है, लेकिन पुलिस गंभीर नहीं है। डीएम की यह कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी और फिर अचानक एसपी से टकराव की स्थिति में जिलाधिकारी का तबादला हो गया। अब एक बार फिर मामला चर्चा में है कि जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर जांच का दायरा बढ़ता तो तभी बड़े खुलासे हो जाते। अब जाकर छांगुर के मामले की कड़ी कहीं न कहीं सादुल्लाह नगर से जोड़ कर देखी जा रही है।
