दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के लिए आतिशी के नाम पर मुहर
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नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल के बाद आतिशी, दिल्ली की सीएम बनेंगी। आतिशी, 2020 में पहली बार विधायक बनीं थी। उसके बाद 2023 में उन्हें मंत्री बनाया गया। अब मंगलवार को दिल्ली के विधायकों की बैठक में आतिशी के नाम पर मुहर लग गई है। बता दें कि जब नई दिल्ली के हनुमान रोड पर आम आदमी पार्टी का दफ्तर होता था, तब आतिशी का चेहरा प्रमुख तौर पर सामने आया था। उस वक्त वे आप का संगठन, प्रचार और अन्य अहम जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही थी। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 से 67 विधानसभा सीटें हासिल हुई थी। चुनाव के बाद पार्टी में असंतुष्ट समूह खड़ा हो गया था।
अप्रैल 2015 में असंतुष्ट नेता योगेंद्र यादव को पार्टी के मुख्य प्रवक्ता पद से हटाया गया था। उसी समय आतिशी को प्रवक्ता पद से दूर कर दिया गया। यही वो समय था, जब आतिशी को अपनी वफादारी साबित करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। ‘आप’ की राजनीतिक मामलों की कमेटी ‘पीएसी’ में भी इस पर चर्चा हुई। आखिर में आतिशी को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जो कुछ गलतफहमी थी, वह दूर हो गई। उसके बाद आतिशी, केजरीवाल की नजरों में पहले के मुकाबले वे कहीं अधिक ताकतवर बनकर उभरी।
मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर विधायक दल की बैठक हुई। सभी ने दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के लिए आतिशी के नाम पर मुहर लगाई। इस बैठक में अरविंद केजरीवाल के अलावा, मनीष सिसोदिया, मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत और गोपाल राय आदि मौजूद रहे। बैठक में मदन लाल, संजीव झा, प्रवीण कुमार, एस के बग्गा, शरद चौहान, कुलदीप कुमार, गिरीश सोनी व राजेश ऋषि सहित सभी विधायक मौजूद रहे। 2015 के चुनाव की प्रचंड जीत के बाद आम आदमी पार्टी में बवाल बच गया था। योगेंद्र यादव को असंतुष्ट समूह का नेता बताया गया। आप की पीएसी ने यादव, प्रशांत भूषण और प्रो. आनंद कुमार को प्रवक्ता पद से हटा दिया था।
केजरीवाल ने सरकार के गठन के बाद प्रवक्ताओं की एक नई टीम खड़ी की। चुनाव प्रचार के दौरान आतिशी ने प्रमुख प्रवक्ता के तौर पर बहुत प्रभावी तरीके से ‘आप’ का पक्ष रखा था। हालांकि उन्हें लेकर पार्टी में कुछ दूसरी तरह का विचार बन गया। ऐसा माना गया कि वे योगेंद्र यादव के गुट में हैं। यादव की तरह वे भी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती हैं। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते जब योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण के खिलाफ कार्रवाई हुई तो उसमें आतिशी का नंबर भी आ गया। उन्हें प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया। केजरीवाल ने जो प्रवक्ताओं का नया पैनल तैयार किया, उसमें आतिशी का नाम नहीं था। इस पैनल में संजय सिंह, आशुतोष, कुमार विश्वास, पंकज गुप्ता और आशीष खेतान आदि नेताओं का नाम शामिल था। पैनल के अन्य चेहरों में आदर्श शास्त्री, अल्का लांबा, सौरभ भारद्वाज, एचएस फुल्का और राघव चड्ढा थे। कुछ समय बाद आतिशी ने खुद को दोबारा से खड़ा किया। चूंकि उनका कहीं पर कोई कसूर नहीं था। उन्हें योगेंद्र यादव के चलते प्रवक्ता पद से हटाया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता और उनके पीए बिभव कुमार ने भी आतिशी को लेकर सकारात्मक पक्ष रखा। दिलीप पांडे ने आतिशी का बखूबी साथ दिया। खास बात है, उस वक्त जो नए प्रवक्ताओं की टीम तैयार हुई थी, उसमें कई नेता आम आदमी पार्टी से बाहर हो गए। इनमें योगेन्द्र यादव, आनंद कुमार, प्रो. अजीत झा व प्रशांत भूषण आदि शामिल थे। बाद में आशीष खेतान, अल्का लांबा, साजिया इल्मी, आशुतोष और कुमार विश्वास भी आप से अलग हो गए। दूसरी तरफ आतिशी, ईमानदारी से अपने पथ पर आगे बढ़ती चली गई। इस घटनाक्रम के बाद आतिशी दोबारा से अपने पद पर काबिज हुई। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने टीवी डिबेट में तथ्यों सहित आप सरकार का पक्ष रखा। इसके बाद वे मनीष सिसौदिया के साथ शिक्षा नीति पर काम करने लगी। यहां पर उन्होंने खुद की काबिलियत को साबित कर दिखाया। इसके बाद केजरीवाल का उन पर भरोसा बढ़ता चला गया। नतीजा, पहले उन्हें विधायक का चुनाव लड़ाया। वे दिल्ली सरकार में मंत्री बनीं और अब मुख्यमंत्री के पद पर उनकी ताजपोशी की घोषणा की गई है।
