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दिल्ली में.. पहाड़ से.. दिल्ली ही नहीं मिल रही है!

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डा अरविन्द सिंह @ पहाड़ की दिल्ली पदयात्रा-भाग-2
शराब पीने दे बैठकर मस्जिद में ग़ालिब/या वो जगह बता, जहां खुदा न हो…
–गालिब
अनशन करने दे बैठकर सरकार/या वो जगह बता जहां दफा न हो..!
– सोनम वांगचुक
Sonam Wangchuk जब पिछले 1सितंबर को लेह से अपने 150 साथियों के साथ पदयात्रा करते हुए दिल्ली के राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर 2 अक्टूबर को पहुंचने वाले थे, और 3 को जंतर-मंतर पर पहुंच कर पहाड़ की वेदना और समस्या को दिल्ली से बताने वाले थे। कि इस ख़बर से दिल्ली हिल गयी, उसके हाथ पांव फूलने लगें। लोकतंत्र के नायकों की इतनी बड़ी पदयात्रा से सहमी दिल्ली ने पहाड़ की आवाज को दबाने के लिए उसे हरियाणा के सिन्धु बार्डर पर ही उनके साथियों के साथ 30 सितंबर को ही गिरफ्तार कर लिया।
वैज्ञानिक, इंजीनियर, पर्यावरणविद और जननायक, थ्री इडियट फिल्म का चरित्र नायक सोनम वांगचुक ने जब पहाड़ की समस्या को दिल्ली को कुछ महिनों पहले बताने की कोशिश की तो दिल्ली ने आमचुनाव के बाद उस समस्या का समाधान निकालने का आश्वासन दिया था। आम चुनाव के बाद नई सरकार भी आ गई । पहाड़ ने फिर दिल्ली को चेताया, लेकिन दिल्ली की तो अपनी ही चाल है, वह अपने ही रौव में चलती है। दिल्ली अभाव में कम प्रभाव और दबाव में ज्यादा काम करने की आदी है। दिल्ली की दरअसल यही नियति है। इन्द्रप्रस्थ को भीतर तक हिलाना पड़ता है। तभी तो जब लद्दाख ने अपनी पीड़ा और मांगों को सुनाने की कोशिश पहाड़ से ही की, तो दिल्ली अपनी घोर तंद्रा से बाहर नहीं निकल सकी। फिर क्या लोकतंत्र के पहरुओं ने दिल्ली तक पहाड़ की आवाज पहुंचाने के लिए दिल्ली की तरफ ही कूच कर दिया। लगातार महिने भर पैदल चलते हुए पहाड़ के पांवों में रक्तरंजित छालें तक पड़ गयें। लेकिन पहाड़ है कि मैदान की तरफ बढ़ता ही जा रहा । दिल्ली दूर है..के नारों को उलट पहाड़ ने दिल्ली पर ही कूच कर दिया।

दिल्ली ने पदयात्रियों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन जब दिल्ली पर दबाव बढ़ा तो दिल्ली वांगचुक को पदयात्रियों के साथ राजघाट तक ले आयी और तय हुआ की 3 अक्टूबर का जंतर-मंतर का अनशन का कार्यक्रम पहाड़ अभी समाप्त कर दें। दिल्ली, पहाड़ से मिलेगी..। फिर क्या, दिल्ली के आश्वासन पर पहाड़ ने अनशन का कार्यक्रम रद्द कर दिया। लेकिन दिल्ली अब तक पहाड़ से नहीं मिली। दिल्ली में.. पहाड़ को दिल्ली ही नहीं मिल रही है..! है न कितनी रहस्यमय परिस्थितियां। दिल्ली ने पहाड़ को दिल्ली में ही.. दिल्ली से दूर कर दिया है। सोनम वांगचुक की जारी वीडियो ने स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली वादाखिलाफी कर रही है। और दिल्ली ने धारा-144 यानि (अब धारा 163) लगाकर दिल्ली में अनशन करने से भी रोक दिया है । जंतर-मंतर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुबह 10 बजे शाम 5 बजे तक अनशन हो सकता है। बाकी जगह धारा 144 लगा रखा है। सवाल यह है दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की राजधानी में कोई एक जगह तो होगी शायद नहीं है, जहां लोकतंत्र को अपनी बात कहने के लिए वह स्थल बचा हो। पहाड़ की पीड़ा यह है कि दिल्ली उसकी सुन नहीं रही है और सुनाने का स्थान दे नहीं रही है ..उसे भी बंद कर दिया है। इसी पीड़ा के मद्देनजर वांगचुक बोलते हैं –
“अनशन करने दे बैठकर सरकार/या वो जगह बता जहां दफा न हो..!”
(दफा-धारा-144)
शराब पीने दे बैठकर मस्जिद में ग़ालिब/या वो जगह बता, जहां खुदा न हो…
–गालिब

– डॉ अरविन्द सिंह

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