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दो दोस्तों को दरकिनार कर US ने की रूस की बड़ी हिफाजत? यूक्रेन जंग में क्यों बना दुश्मन का सुरक्षा कवच

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यूक्रेन-रूस के बीच करीब ढाई साल से चल रहे युद्ध में यूक्रेन पिछले कुछ दिनों से आक्रामक बना हुआ है। यूक्रेनी सेना तेजी से रूसी क्षेत्रों में घुसती चली जा रही है। कुर्स्क इलाके पर कब्जा करने और इलाके में 1000 किलोमीटर तक अंदर चले जाने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रूस के कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सैनिकों के दाखिल होने का मकसद वहां एक ‘बफर जोन’ बनाना है, ताकि मॉस्को को सीमा पार और हमले करने से रोका जा सके। जेलेंस्की ने कुर्स्क क्षेत्र में 6 अगस्त को शुरू किए गए इस साहसिक अभियान की मंशा पहली बार स्पष्ट रूप से जाहिर की है। पहले उन्होंने कहा था कि अभियान का मकसद सीमावर्ती सुमी क्षेत्र में लोगों को रूस की ओर से लगातार जारी गोलाबारी से बचाना है।

इस बीच, अमेरिका ने यूक्रेन को झटका देते हुए रूसी क्षेत्रों के अंदर स्टॉर्म शैडो मिसाइल का इस्तेमाल करने से मना कर दिया है। यूक्रेन लंबे समय से अमेरिका से बार-बार अपील कर रहा था कि ATACMS और स्टॉर्म शैडो मिसाइल जैसे लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल करने की इजाजत दे लेकिन अमेरिका ने इन हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रखा है।

हाल ही में एक रिपोर्ट आई है, जिसमें कहा गया है कि वॉशिंगटन ने ब्रिटेन के उस अनुरोध को भी ठुकरा दिया है, जिसमें लंदन ने कीव को रूस के खिलाफ ATACMS और स्टॉर्म शैडो मिसाइल जैसे लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल करने की इजाजत देने की पैरवी अमेरिका से की थी। ब्रिटिश सरकार ने एक महीने पहले ही अमेरिका से यूक्रेन पर इन हथियारों के इस्तेमाल पर लगे प्रतिबंधों को हटाने का अनुरोध किया था।

द टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा लंबी रेंज के हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का मकसद रूस के अंदर भीषण हमलों को रोकना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा कर अमेरिका ने एक तरह से रूस की मदद की है लेकिन यूक्रेन को रूस के अंदर आगे बढ़ने से रोक दिया है। यूक्रेनी सेना ने हाल ही में रूस के कुर्स्क ओब्लास्ट में बड़ी घुसपैठ की। एक सप्ताह से अधिक समय पहले शुरू हुए इस ऑपरेशन के दौरान यूक्रेनी सेना ने कुर्स्क क्षेत्र के भीतर दो जिलों के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका एक तरफ कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी घुसपैठ की समीक्षा करवा रहा है तो दूसरी तरफ मित्र देशों से इस पर नफा-नुकसान की चर्चा कर रहा है कि स्टॉर्म शैडो मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत देने से क्या असर पड़ सकता है।

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