23 दिन बाद अपने गांव लौटी राखी
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बताया क्यों बनना पड़ा साध्वी; सनातन और गुरु के लिए कही ये बड़ी बात
आगरा। आगरा के फतेहाबाद के गांव टरकपुरा के दिनेश की 13 वर्षीय पुत्री राखी जूना अखाड़े में शामिल हुई थी। मगर, नाबालिग होने के कारण घर भेज दी गई थी। 23 दिन बाद राखी परिजन के साथ गांव लौटी। उनका कहना है कि वह जीवन भर साध्वी बनकर ही रहेगी। प्रयागराज कुंभ से माता-पिता के साथ लौटी राखी ने कहा कि 25 दिसंबर 2024 को कुंभ में शामिल होने गई थी। उन्होंने बताया कि कुछ दिन रहने के बाद अच्छा नहीं लगा। इस पर माता-पिता से कहा कि घर चलो। लेकिन, उसी रात्रि में बचपन की इच्छा जागृत हुई कि मुझे साध्वी बनना है। माता-पिता से कहा कि आप घर चले जाओ। मुझे साध्वी बनना है। माता-पिता और गुरु कौशल गिरी ने काफी समझाया कि वह साध्वी न बनें। मगर, मैं अपने इरादे पर अटल रही। माता-पिता ने खूब डांटा। तब अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए गुरु से कहा। उन्होंने कहा कि माता-पिता से बात कर लो। माता-पिता यही बोले कि जो उसकी इच्छा है, वही करे। अपना साथ देने का वादा किया। गुरु ने कहा था कि वो पढ़ाई पर ध्यान दे। पढ़-लिखकर नौकरी करे। उन्होंने समझाया था कि साध्वी बनना कोई छोटी चीज नहीं है। बात नहीं मानी तो गंगा में कूदकर जान देने की धमकी के बाद जूना अखाड़े में साध्वी बनाने पर सहमति बनी। राखी ने कहा कि वो साध्वी के भेष में ही रहेगी। दीदी ऋतंभरा के वृंदावन आश्रम में रहकर पढ़ाई कर सनातन धर्म का प्रचार करेगी। उन्होंने कहा कि मेरे गुरु पर जो आरोप लगाए गए है, वो सब गलत हैं। मैं जूना अखाड़े से अनुरोध करती हूं कि गुरु को फिर से जूना अखाड़े में शामिल किया जाए। वहीं राखी के पिता दिनेश ने बताया कि जो आरोप लगाए गए हैं, वो सब गलत हैं।