आजमगढ़: बिजली कर्मचारियों का निजीकरण और ट्रांसफर घोटाले के खिलाफ उबाल, नियामक आयोग पर प्रदर्शन, वाराणसी में अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू
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आजमगढ़ : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, आजमगढ़ के तत्वावधान में सैकड़ों बिजली कर्मचारियों ने विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय पर निजीकरण के प्रस्तावित आरएफपी डॉक्यूमेंट के खिलाफ मौन प्रदर्शन कर कड़ा विरोध दर्ज किया। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि निजी घरानों और पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन के दबाव में नियामक आयोग से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण पर अभिमत मांगा जा रहा है, जिससे बिजली कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियों पर लिखे नारे “कारपोरेट के दबाव में निजीकरण स्वीकार्य नहीं” के साथ अपना विरोध जताया।
सभा का संचालन कर रहे प्रभु नारायण पांडेय ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए उतावला है। उन्होंने दावा किया कि पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष और निदेशक (वित्त) निधि नारंग अधिकारियों पर गलत संस्तुति पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाल रहे हैं। इस दबाव के चलते डायरेक्टर (फंड) सचिन गोयल ने इस्तीफा दे दिया है।
उधर, वाराणसी में बिजली कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर किए गए स्थानांतरण आदेशों के विरोध में अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू कर दिया। कर्मचारियों का आरोप है कि ये स्थानांतरण उत्पीड़न और लेनदेन के इरादे से किए गए हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक और ऊर्जा मंत्री की बातचीत का एक ऑडियो वायरल होने के बाद ट्रांसफर घोटाले की बात भी सामने आई है। गुस्साए कर्मचारियों के प्रदर्शन से घबराए प्रबंध निदेशक ने मुख्य द्वार पर ताला लगवा दिया, जिसके बाद सैकड़ों कर्मचारी द्वार पर ही धरने पर बैठ गए।
संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत में निजीकरण से उपभोक्ताओं और किसानों को होने वाले नुकसान के साथ-साथ निजीकरण के पीछे छिपे “मेगा घोटाले” का भी पर्दाफाश किया जाएगा।
आजमगढ़ में संघर्ष समिति ने मुख्य अभियंता, आजमगढ़ द्वारा कार्यालय का गेट बंद करवाने के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज किया। सभा में प्रभु नारायण पांडेय, अशेष सिंह, प्रदीप सिंह, उपेंद्र नाथ चौरसिया, संदीप, तुषार श्रीवास्तव सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
